कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब
आज तुम याद बे-हिसाब आए
किसके बारे में सोचती हैं दोस्त तू तो बिल्कुल बदल गई हैं दोस्त
तेरी खातिर तेरी ख़ुशी के लिए, मैंने सिगरेट भी छोड़ दी हैं दोस्त
एक शिकायत मुझे भी हैं तुझसे, तू बहुत झूठ बोलती हैं दोस्त.
मेरे अश्को से तू अपना दामन साफ कर ,
अकेले तड़पता हूँ ऐ खुदा इन्साफ कर ,
उनकी बेवफाई में कुछ राज छुपा है ,
मेरे खुदा तू उनके हर गुनाह माफ़ कर .
वो कहता है… कि मजबूरियां हैं बहुत…
साफ लफ़्ज़ों में खुद को बेवफा नहीं कहता।
नादान इनकी बातो का एतबार ना कर,भूलकर भी इन जालिमो से प्यार ना कर,वो क़यामत तलक तेरे पास ना आयेंगे,इनके आने का नादान तू इन्तजार ना कर!