ये ना पूछ कितनी शिकायतें हैं तुझसे ऐ ज़िन्दगी,
सिर्फ इतना बता की तेरा कोई और सितम बाक़ी तो नहीं।
चर्चा हो रही थी मोहब्बत लिखने वालो की,
स्याही भटक गई तेरा नाम लिखते लिखते..
यूं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे, पता ही नहीं था की कीमत चेहरों की होती है!
आओ फिर से दोहराए अपनी कहानी, मैं तुम्हें बेपनाह चाहूँगा और तुम मुझे बेवजह छोड़ जाना..
बस इतनी सी ही कहानी थी मेरी मोहब्बत की मौसम की तरह तुम बदल गए, फसल की तरह मैं बरबाद हो गया|