अब उसने भी अपनी चाहतों को दबा लिया है
तभी मुझसे दुरी बढ़ा कर .........
किसी और से दिल लगा लिया है।
मत लो मेरी चाहतों का इम्तिहान,गर हार गया तो दर्द तुम्हें भी होगा।
मत लो मेरी चाहतों का इम्तिहान,
गर हार गया तो दर्द तुम्हें भी होगा।
जरुरी तो नही हर चाहत का मतलब इश्क हो,
कभी कभी अनजान रिश्तो के लिए भी, दिल बैचेन हो जाता है.
कुछ तो चाहत होगी इन बूंदों की भी,
वरना कौन छूता है…
इस जमीं को उस आसमान से टूटकर!
चाहत अधूरी हो सकती है पर...
खतम कभी नहीं होती
चाहत बन गये हो तुम या आदत बन गये
हो तुम हर सांस में यू आते जाते हो जैसे
मेरी इबादत बन गये हो तुम।