पति – क्यों ना आज बाहरचाय पी जाएँ।पत्नी– क्यों? तुम्हें क्या लगता है किमैं चाय बनाते-बनाते थक गई हूँ.पति – नहीं, पर मैं प्लेट और कप साफ़करते-करते तंग आ गया हूँ.
आज भी मेरे कदमवहीं रूक जाते है…....जहाँ कोई कह देता हैचाय बना रही हूँ…पीकर जायेगा।
कुछ लोग जिंदगी में हारने पर
भी उतना दुखी नहीं होते है
जितना दुःख…
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चाय में बिस्कुट टूट कर
गिरने से उन्हें होता है.
चाय☕ सर दर्द का...
"राष्ट्रीय इलाज" हैं.
कदम वहीँ रुक जाते है
जहाँ कोई कह दे की रुक तो "चाय" बन रही है पी कर जा |
Dil chahta hai
Kabhi na khatam ho ye chai ka cup