मेरा दिल ...तो तुम्हारे शहर के नाम से ही धड़कने लगता है।
वक़्त मिले तो मेरे घर तक चले आना कभी,तेरी खुश्बू के मोहताज़ मेरे गुलदस्ते आज भी हैं.
जिनके लिए हम लिखते है ,अक्सर , उनको ही हम कुछ लिख नहीं पाते !!
फिर उसी बेवफा पे मरते हैं,फिर वही ज़िन्दगी हमारी है ।
कभी गुस्से में मुझे वो बहुत डाँटती है,ऐसा प्यार वो सबको नहीं बाँटती है l