सुबह की चाय,घर की बालकनीतुम्हारे य़ादों का साथ खास है lयही सिलसिला है रोज का ,तुमसे ही चाय की मिठास है l
उठना, गिरना ,संभलना चलता रहता है ,यही ज़िन्दगी है ज़नाब !सांसो का आना जाना जब तक है ,हंसना ,रोना ,मुस्कुराना चलता रहता है l
"जब भी उठाता हूँ कलम,सोचता हूँ तुम्हारा नाम लिख दूँ,पता नहीं क्या बात कहूँ,कुछ नहीं तो, अपना हाल लिख दूँ l"
किसी बहाने पास मेरे रुक जाना,ख्वाब में भी मुझ से दूर ना जाना,बात तेरे जाने की रुला गई मुझे,मरने से पहले मुझको मार ना जाना l
"मिले ना मिले कहीं, उसके साथ चलना है,जैसे चलती दो पटरियाँ, वैसे साथ रहना है l"
"बैठे-बैठे एक मुस्कुराहट,ओंठो पे आ गई,कोई बात तुम्हारी प्यारी, जहन में आ गई,लोगो ने पूछा क्या है, क्यों हँस रहे हो,उन्हें क्या बताता, तुम कैसे पागल बना गई l"