मोहब्बत में यारों हमनें क्या-क्या नहीं लूटाया…
उन्हें पसंद थी रोशनी हमनें खुद को जला दिया…
प्रेम सबकुछ सह लेता है,पर उपेक्षा नहीं सह सकता ।
कागज पे मैंने अपने सब शौक हैं उतारे,ख़्वाबों को जी लिया, शब्दों के हैं सहारे lरंगीन दुनिया में, बे-रंग फिरते है मारे,तस्वीर में जो रंग थे, मैं पी गया वो सारे l
"सारे गुनाहों का हिसाब,क्या एक दिन में ले लेगा,ऐ खुदा अभी बक्श दे,कुछ काम जरुरी बाकी है l"
ज़िंदगी तेरी ये हमसे नराजगी कैसी है,ख्वाबों को छीनने की तेरी ये जिद कैसी है,तिनका-तिनका जोड़ सपनों को जोड़ा है,यूँ अचानक इन्हें तोड़ने की आदत कैसी है l
"बात किसी से भी हो, बातों में तुम ही होती हो,राह कोई भी हो, हमसफ़र तुम ही होते हो,खुद से भी बातें करता हूँ, हर पल तुम्हारी,सो जाऊँ तो भी , ख़्वाबों में तुम ही होती हो l"