आज बहुत तकलीफ में हूं
दुआ करो सबर मिल जाए
या कबर मिल जाए।
भोली सी अदा कोई फिर इश्क की जिद पर है,फिर आग का दरिया है और डूब के जाना है।
एक तुम ही मिल जाते बस इतना काफ़ी था,सारी दुनिया के तलबगार नहीं थे हम।
साँसो के रोकने से धड़कने रूकती नहीं,एक साथ चाहिए तेरा,ये सफ़र अकेले कटता नहीं lकैसे कहूँ कितनी मोह्हबत है,लफ्ज़ कम पड़ जाते है l
किसी को क्या बताये की
कितने मजबूर है हम..!!
चाहा था सिर्फ एक तुमको और
अब तुम से ही दूर है हम..!!