जानते हैं... कि दिन गुलाब का है...लेकिन ज़रा देखना... दूसरे फूल उदास ना हों....
जब भी जाता हूँ कहने,जुबाँ कुछ कँहा बोल पाता है lबस रहती है नज़र में नज़र,कहना-सुनना तो यूँ ही हो जाता है l
हाल-ए-दिल यार को लिखूँ क्यूँकर
हाथ दिल से जुदा नहीं होता
तुम हमारे किसी तरह न हुए
वार्ना दुनिया में क्या नहीं होता
"काश! कोई इस रात की सहर रोक लेता,आज फिर मुझे कोई घर रोक लेता l"
चीर के जमीन को, मैं उम्मीद बोता हूँ…
मैं किसान हूँ, चैन से कहाँ सोता हूँ…