अकेलेपन से सीखी है, पर बात सच्ची है,
दिखावे को नजदीकियों से, हकीकत की दूरी अच्छी है.
यूही नही काले घेरे आंखों के नीचे बढ़ रहे है,
हम आज भी घटित हुए उस हादसे से लड़ रहे है.
क्या बताऊं तुझपर कितना भरोसा जताया था,
शादी करूंगा तुझ्से ये मैने मां को बताया था.
तू हमेशा कहती थी ना के ख्याल नही रखता अपना,
देख आज तू ही मुझे इस बेखयाली में डाल गई.
दिल का दर्द किसे दिखाएं,
मरहम लगाने वाले ही जख्म दे जाते हैं।
सिर्फ खुद पर ही विश्वाश रखता हूँ अब,
क्योंकि दर्द सहने की आदत नहीं मुझे अब !