आंसू निकल आये तो खुद पूछना,
लोग पूछने आये तो सौदा करेंगे..
छुपी होती है लफ्जों में गेहरी राज की बातें..
लोग शायरी या मजाक समझ के बस मुस्कुरा देते है..
हँसते हुए ज़ख्मों को भुलाने लगे हैं हम,हर दर्द के निशान मिटाने लगे हैं हम,अब और कोई ज़ुल्म सताएगा क्या भला,ज़ुल्मों सितम को अब तो सताने लगे हैं हम।