मेरी हर आह को वाह मिली है यहाँ…..कौन कहता है दर्द बिकता नहीं है !
बस ईतनी सी उर्म के तलबदार है हम,ना मरेंगे तुझसे पहले ना जिऐँगे तेरे बाद..!!
हर चीज़ बिकने लगी है किश्तों परख्वाहिशों पे लगाम कोई कैसे लगाये?
मोहब्बत ज़िन्दगी बदल देती है …..मिल जाये तब भी और ना मिले तब भी !!
तुम्हें कैसे लगा मैं फ़ोन नम्बर भूल जाऊँगामुझे तो रोल नम्बर भी तुम्हारा याद है अब तक।
अगर उतर जाते खरे तेरी हर उम्मीद पे,तो इल्ज़ाम बदल जाने का मेरे नाम होता