पूरी रात जाग वो मेरा बाहर इंतजार कर रही थी ,पगली ! मैं तेरे भीतर बैठा तेरा राह ताक रहा था l
आँखें थक गई है आसमान को देखते देखतेपर वो तारा नहीं टूटता ,जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ
एक तुम ही मिल जाते बस इतना काफ़ी था,सारी दुनिया के तलबगार नहीं थे हम।
जानते हैं... कि दिन गुलाब का है...लेकिन ज़रा देखना... दूसरे फूल उदास ना हों....
साँसो के रोकने से धड़कने रूकती नहीं,एक साथ चाहिए तेरा,ये सफ़र अकेले कटता नहीं lकैसे कहूँ कितनी मोह्हबत है,लफ्ज़ कम पड़ जाते है l