तेरे एहसास की खुशबू रग-रग में समाई है..
अब तु ही बता, क्या इसकी भी कोई दवाई है।
उनके मुंह से आज मेरे हक़ में दुआ निकली है…
जब मर्ज फैल गया है तब दवा निकली है !!!
ना कर तू इतनी कोशिशे,मेरे दर्द को समझने की,पहले इश्क़ कर,फिर ज़ख्म खा,फिर लिख दवा मेरे दर्द की।
ना कर तू इतनी कोशिशे,
मेरे दर्द को समझने की,
पहले इश्क़ कर,
फिर ज़ख्म खा,
फिर लिख दवा मेरे दर्द की।
दर्द मिन्नत-कशे- ✒ दवा न हुआ,
मै न अच्छा हुआ बुरा न हुआ,
जमा करते हो क्यों रकीबो को,
एक तमाशा हुआ गिला न हुआ.