हर जगह तेरा दीदार रखते हैं,
पा सके तुझे ऐसा किरदार रखते हैं!
दीदार-ए-यार की खातिर आंखों में ख्वाब ओढ़कर,
चले आये हैं नींद को हम करवटों में छोड़कर..!!
न जाने कौनसा रंग मेरी आँखों में छूटेगा..!!
तेरे दीदार का रोज़ा है, तुझे देखकर ही टूटेगा..!
रात को आंखें बंद कर लेता हूं
तो दीदार तेरा हो जाता है..
लुत्फ़ उठा रहा होता हूं मैं
कमबख्त ये सूरज उग जाता है..