मेरे जिंदगी की तुम जिद नहीं जो पूरी हो,
तुम मेरे दिल की धड़कन हो, जो जरूरी हो।
इक डूबती धड़कन की सदा लोग ना सुन ले…
कुछ देर को बजने दो ये शहनाई ज़रा और…
बेकाबू हो जाती है उस वक्त धड़कन मेरी,
जब तुम आहिस्ता आहिस्ता मेरे करीब आते हो!
दिल की धड़कन को कौन समझेगा।
मेरी उलझन को कौन समझेगा।
एक बेटी नहीं अगर घर में
घर के आंगन को कौन समझेगा।
आप दिल से दूर हैं धडकन से नहीआप हमसे दूर हैं हमारी यादों से नही…!!!