किताब के आखरी
पन्ने जैसा था दिसम्बर,
दिल में एक दिलकश कसक
छोड़ गया है !!
बस तुम ही तुम हो हर वक़्त ख़यालात में,
दिलकश शाम में और गुमशुदा सी रात में!
आज की दिलकश हवाओं में इश्क़ का सुरूर है,
रहते हो तुम धड़कनों में साथ मुझे इसका गुरूर है!