बस तुम ही तुम हो हर वक़्त ख़यालात में,
दिलकश शाम में और गुमशुदा सी रात में!
वो बनी दिलकश गजल मैं उसे गाता रहा…
सारी रात उसकी तारीफ उसी को सुनाता रहा!