ये दिल्लगी ना जाने क्यों सताती है,
हम तो इश्क करते हैं, ना जाने वो क्यूं तड़पाती है।
दिल से ख़याल-ए-सनम भुलाया न जाएगा,
सीने में दाग़ है कि मिटाया न जाएगा।
ना जाने कौन सी दौलत हैं कुछ लोगों के लफ़्जों में,
बात करते हैं तो दिल ही खरीद लेते हैं।
मेरी ज़िन्दगी में ख़ुशी की वजह थे तुम ..
मेरा सच्चा प्यार थे तुम..
कोई दिल्लगी नहीं थे तुम..
अब तो मुझको लोग तेरे नाम से पहचानते हैंदिल्लगी में रुतबा हमने भी पाया है
अब तो मुझको लोग तेरे नाम से पहचानते हैं
दिल्लगी में रुतबा हमने भी पाया है