जिस जिसका मैं हुआ नहीं
उसकी जिंदगी सवर गयी
मैं राह देखता रहा जाने किसकी
और इन्ही राहों पे ये जिंदगी गुजर गयी
चलो यूँ ही सही तुमने माना तो सही
मजबूर कही हम थे ये जाना तो सही
कब कहा हमने की हम बेगुनाह थे
कुछ गुनहगार तुम भी थे ये माना तो सही
दिल के पहलू में
एक दर्द सा पाने लगे,
जब अपने ही
बेगाने से नजर आने लगे।
तुझे याद कर लूं तो मिल जाता है
सुकून दिल को...
मेरे गमों का इलाज
भी कितना सस्ता है..
बहुत दूर है तुम्हारे घर से हमारे घर का किनारा,पर हम हवा के हर झोंके से पूछ लेते हैं क्या हाल है तुम्हारा।