चारों तरफ जय माता दी जय माता दी छाई हुई हैं
फिर ये वृद्धआश्रमों में किसकी “माँ” आई हुई हैं।।
माँ दुर्गा मेरे हृदय से अंधकार मिटा दो,
थक चूका हूँ जिन्दगी से
अब अपनी चरणों में जगह दो.
माँ ऐसी सेवा ले लो इस गुलाम से,
कि लोग मुझे जानने लगे तेरे नाम से.
प्रेम से बोलो – जय माता दी
चाहते हो तुम्हारे जीवन में दुःख न आयें,
तो माता के दरबार में जरूर जायें.
माँ दुर्गा के चरणों में जब शीश झुकाते हैं,
सारी मुसीबतों से लड़ने की ताकत पाते हैं.
मां कि ज्योति से प्रेम मिलता है
सबके दिलों को मरहम मिलता है
जो भी जाता है मां के द्वार
कुछ ना कुछ जरूर मिलता है
जय माता दी।