उनको डर है कि हम उनके लिए जान नहीं दे सकते,
और मुझे खौफ है की वो रोयेंगे बहुत मुझे आजमाने के बाद.
महसूस तब हुआ जब सारा शहर मुझसे जलने लगा,
तब समझ आया की अपना नाम भी चलने लगा.
शायरियों का बादशाह हूँ,
और कलम मेरी रानी है,
अल्फाज मेरे गुलाम है,
बाकि रब की महरबानी है.
मंजिल नहीं मुझे तो राह से मिलना है,
दुनिया के साथ किसे जीना है,
मुझे तो attitude में जीकर,
शान से मरना है.
ये बदमाशी की बातें सोच समझ कर किया कर बेटे,
क्योंकि जिन किताबों से तूने सीखा है वो किताब मैंने ही लिखी है !