अजीब जुल्म करती हैं तेरी यादें मुझ परसो जाऊं तो उठा देती हैं जाग जाऊँ तो रुला देती है
यूं तो आपस में बिगड़ते हैं ख़फ़ा होते हैंमिलने वाले कहीं उल्फ़त में जुदा होते हैं
"ना जाने क्यों इतनी बेचैनी बढ़ जाती है,कोई बात कभी जहन में अटक जाती है,वैसे तो सब बेहतर है, कोई ग़म नहीं है,जब देखता हूँ तुमको, साँसे अटक जाती है l"
ये उदास शाम और तेरी ज़ालिम याद,
खुदा खैर करे अभी तो रात बाकि है.
तुम जुआरी बड़े ही माहिर हो,
एक दिल का पत्ता फेक कर जिदंगी खरीद लेते हो..
सुबह उठन उठकर स्कूल जाना,
जल्दी जल्दी में माँ की बनाई लंच भूल जाना।
ज़िंदगी बड़ी ज़ालिम हैं ये दोस्त,
बढ़ते उम्र के साथ माँ को मत भूल जाना.
Good Morning Shayari