मेरी हर ख़ुशी हर बात तेरी हैं साँसों में छुपी ये साँस तेरी हैं दो पल भी नही रह सकते तेरे बिन धड़कनों की धड़कती हर आवाज तेरी हैं
यूँ बिछड़ना भी बहुत आसाँ न था उस से मगर
जाते जाते उस का वो मुड़ कर दोबारा देखना
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
माँ की लोरियाँ अब कहाँ?
चिड़ियों की बोलियाँ अब कहाँ?
ख़ुद से ही जगाना हैं हमें अब तो,
ज़िंदगी आ गई हैं जिस जगह.
गुड मॉर्निंग शायरी.
शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे
राधा-राधा जपने से हो जाएगा तेरा उद्धार,
क्योंकि यही वही वो नाम हैं जिससे कृष्ण को हैं प्यार।
शुभ जन्माष्टमी