अपने ही अपनों से करते है अपनेपन की अभिलाषापर अपनों ने ही बदल रखी है अपनेपन की परिभाषा
अपने ही अपनों से करते है अपनेपन की अभिलाषा
पर अपनों ने ही बदल रखी है अपनेपन की परिभाषा
कबूल हो गई हर दुआ हमारी, मिल जो गई हमें चाहत तुम्हारी, अब नही चाहत है दिल में हमारे कुछ, जब से मिल गई है मोहब्बत तुम्हारी !
Good Morning Shayari
उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ
अब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ
आप की याद आती रही रात भर
चाँदनी दिल दुखाती रही रात भर
रात के शायद एक बजे हैं
सोता होगा मेरा चाँद