अजीब खेल है ये मोहब्बत का,किसी को हम न मिले|और कोई हमे न मिला|
तेरी हर अदा मोहब्बत सी लगती है,एक पल की जुदाई मुद्दत सी लगती हैपहले नहीं अब सोचने लगे है हम की,जिंदगी के हर लम्हे में तेरी ज़रूरत सी लगती है..
सुनना चाहते है एक बार आवाज़ आपकी मगर बात करने का बहाना नहीं आता!!!
वो रो रो कर कहती रही मुझे नफरत है तुमसे, मगर एक सवाल आज भी परेशान किये हुए है, की अगर नफरत ही थी तो वो इतना रोई क्यों …