ऐसा कोई लड़कानहीं बना,
जो हम पर मरने काइरादा न रखे!!
मैं तमाम दिन का थका हुआ,
तू तमाम शब का जगा हुआ,
ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर,
तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ।
सफर में कही तो दगा खा गए हम..
जहाँ से चले थे,वही आ गए हम...!!
टूटे हुए सपनो और छुटे हुए अपनों ने मार दिया वरना ख़ुशी खुद हमसे मुस्कुराना सिखने आया करती थी|
जाने उस शख्स को कैसे ये हुनर आता है,रात होती है तो आंखो में उतर आता है,मैं उस के ख्यालो से बच के कहाँ जाऊ,वो मेरी सोच के हर रास्ते पे नज़र आता है.