कविता के कई मतलब हो सकते हैपर कविता कभी मतलबी नहीं हो सकती !!
जहाँ कमरे में कैद हो जाती है ज़िन्दगी,लोग उसको बड़ा शहर कहते हैं ।
एक तरफ ढल रहा दिन,एक तरफ अंधेरा आ रहा है,बस याद है कि अब,ना आ रहा है, ना जा रहा है l
तुम्हारे साथ ही हर ग़म से सुकून पाते है,कभी तुम ही मेरे लिए ग़म बन जाते हो lउम्मीदगी की राहो से ही,रौशन है रिश्ते,जिंदा हूँ तो हँसता-रोता सब नज़र आने दो l
ना कोई महल, ना सपना,ना कोई फूल छोड़ जाता हूँ,तुम्हारे नाम लिखें है कई ख़त, रोज एक छोड़ आता हूँ l
"ना जाने क्यों इतनी बेचैनी बढ़ जाती है,कोई बात कभी जहन में अटक जाती है,वैसे तो सब बेहतर है, कोई ग़म नहीं है,जब देखता हूँ तुमको, साँसे अटक जाती है l"