हमने तो तेरे इश्क़ में रो रो कर
दरिया बहा दिए,
तू इतना बेवफा निकला कि
हम उस दरिया में नहा लिए।
मुहब्बत ना सही
मुकदमा ही कर दे..
तारीख दर तारीख
मुलाकात तो होगी..!!
ठंड के मौसम में
रोज रजाई कहती है
अंदर तो आ गए,
बाहर कैसे जाओगे?
न चांद होगा ना तारे होंगे,क्या हम इस साल भी कुंवारे होंगे ,इस दुनिया में कितनों के निकाह हो गए ,क्या हमारे नसीब में सिर्फ निकाह के छुहारे होंगे।
ना तलवार की धार से ना गोलियों की बौछार से, बंदा डरता है तो सिर्फ अपने बाप की मार से।