तू ने कसम मय-कशी की खाई है ‘ग़ालिब’तेरी कसम का कुछ एतिबार नही है..!
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भीकुछ हमारी खबर नहीं आती
इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’।कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे।।
दर्द जब भी दिल मै हो तो दवा किजिए ..दिल हि जाब दार्द हो तो कया किजिए !!