कोई वादा खुद से, निभाओ तो सही..
कभी खुद से खुद को, मिलवाओ तो सही..
तल्खियां लेकर, रोज लोटते हो..
कभी मुस्कुराहटें भी घर, लाओ तो सही..
रौनके भी होगी, महफिलें भी सजेगी..
कभी अपने आशियाने को, सजाओ तो सही..
खिल उठेगी, दिल की हर दर ओ दीवार..
कभी च़राग सा खुद को, जलाओ तो सही..
फांसले भी घटेंगे, नजदीकियां भी बढेगी..
कभी एक कदम ईमानदारी का, बढाओ तो सही..
खुशियां इतनी मिलेगी, दामन छोटा लगेगा..
कभी अपनो के आगे, झोली फैलाओ तो सही..
बहता हुआ मिलेगा, प्यार का समंदर..
कभी प्यासे रहकर…घर आओ तो सही..