टूटा छप्पर मिट्टी का घर, कई रात मैं बारिश के कारण सो ना सका,
मैनें कोशिश बहुत की य़ारों, पर मुझे बरसात से मोहब्बत हो ना सका!
घर अंदर ही अंदर टूट जाते हैं,
मकान खड़े रहते हैं बेशर्मों की तरह!
घर में रहा था कौन कि रुखसत करे हमें,
चौखट को अलविदा कहा और चल पड़े!
उसके घर से दूर नहीं है मेरा घर,
बस रास्ते में एक ज़माना पड़ता है!