तमाशा करती है मेरी जिंदगी,गजब ये है कि तालियां अपने बजाते हैं!
Best gulzar shayari
मेरी फ़ितरत में नहीं था तमाशा करना,
बहुत कुछ जानते थे मगर ख़ामोश रहे…
हमने अक्सर तुम्हारी राहों में रुक कर,
अपना ही इंतज़ार किया!!
कोई पूछ रहा है मुझसे अब मेरी ज़िन्दगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है हल्का सा मुस्कुराना तुम्हारा!
कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की
उस उम्र से हमने तुमको चाहा है,
जिस उम्र में हम जिस्म से वाकिफ ना थे…!!!