"कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत,
मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।"
"मैंने दबी आवाज़ में पूछा?
मुहब्बत करने लगी हो?
नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत।"
मुझसे तुम बस मोहब्बत कर लिया करो,नखरे करने में वैसे भी तुम्हारा कोई जवाब नहीं!
"खता उनकी भी नहीं यारो वो भी क्या करते,बहुत चाहने वाले थे किस किस से वफ़ा करते !"
वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे माँगते..
वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी.
बहुत मुश्किल से करता हूँ तेरी यादों का कारोबार,
मुनाफा कम है लेकिन गुज़ारा हो ही जाता है!