क्यो ना करूं गुरूर मै अपने आप पर,
मुझे उसने चाहा जिसके चाहने वाले हजार थे.
उसके ग़ुरूर का हमने भी अजब इलाज़ किया,
पहले नज़रें मिलाई फिर नज़र-अंदाज़ किया!
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
कद में छोटे हो, मगर लोग बड़े रहते हैं.