गुरुर में इन्सान को
कभी इन्सान नहीं दिखता,
जैसे छत पर चढो तो अपना ही
मकान नहीं दिखता !!
तोड़ेंगे गुरुर इश्क का
और इस कदर सुधर जायेंगे,
खड़ी रहेगी मोहब्बत बीच रास्ते में
और हम सामने से गुजर जायेंगे !!
क्यो ना करूं गुरूर मै अपने आप पर,
मुझे उसने चाहा जिसके चाहने वाले हजार थे.
उसके ग़ुरूर का हमने भी अजब इलाज़ किया,
पहले नज़रें मिलाई फिर नज़र-अंदाज़ किया!
हमारी राहों में रुकावट बनाने वालों
खुद की मंजिल हुई गवा बैठोगे
शतरंज के खेल में क़ुर्बानी पायदों की दी जाती हैं ताकि राजा सलामत रहें.
इसलिए ज़िंदगी में अपने आपको किसी का पायदा ना बनाये.