तुम क्या जानो हाल हमारा,
एक तो शहर बंद ऊपर से ख़्याल तुम्हारा!
तुम क्या जानो उस दरिया पर क्या गुजरी,
तुमने तो बस पानी भरना छोड़ दिया!
Kyaa sunaye kisko haal e dil jab
bhi likhte h jakhme dil taaza ho jate h
इक यही झिझक है हाल-ए-दिल सुनाने में, ज़िक्र तेरा भी आएगा मेरे इस फसाने में!
हाल-ए-दिल भी अब क्या बयान करनाअपना तो कोई यहाँ रहा ही नहीं