उदासियाँ तो चहरे पे धूल की तरह है
हम अंदर से तो कल भी वही थे आज भी वही है
कद में छोटे हो, मगर लोग बड़े रहते हैं.
तारे और इंसान में कोई फर्क नहीं होता,दोनो ही किसी की ख़ुशी के लिऐ खुद को तोड़ लेते हैं।
हालात से ख़ौफ़ खा रहा हूँशीशे के महल बना रहा हूँ
ना गिला है कोई हालात से,ना शिकायते है किसी की बात से,खुद ही सारे जुदा हुए,मेरी जिंदगी की किताब से..
गुज़रे दिनों की भूली हुई बात की तरह,आँखों में जागता है कोई रात की तरह,उससे उम्मीद थी की निभाएगा साथ वो,वो भी बदल गया मेरे हालात की तरह।