अपने दिल से प्यार की
यादें भी निकाल दी..
मेरे हमदर्द ने ही आज
मेरी दुनिया उजाड़ दी..
इस दिल को बस उसी का
इंतज़ार था अफ़साने में..
न जाने हमदर्द क्यों छोड़कर
गया मुझे मेरा वीराने में..
जिस्म-ए-दामन में पहले ही दर्द कम ना थेकुछ और मुनाफा कर गए जो हमदर्द थे
इस दुनिया में कोई किसी का हमदर्द नहीं होता
लोग जनाजे के साथ भी होते हैं
तो सिर्फ अपनी हजिरी गीनवाने के लिए
दर्द इतने है तेरे इस छोटे से दिल मे मेरे
चाहत है कि कोई फिर मुझे हमदर्द न कहे
कोई आएगा तुम्हारा हमदर्द बनेगा
खुद के आंशू खुद पोंछो
कोई फ़िल्म नहीं है ये ज़िन्दगी है