“काश...तुम मेरे होते,
और ये अल्फ़ाज़ तुम्हारे होते।”
क्या किसी से उसका हाल पूछें,
नाम भी तो लिया नहीं जाता।” 😊
यूँ बिछड़ना भी बहुत आसाँ न था उस से मगर
जाते जाते उस का वो मुड़ कर दोबारा देखना
कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें
उदास होने का कोई सबब नहीं होता
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा