मिल सके आसानी से , उसकी ख्वाहिश किसे है? ज़िद तो उसकी है, जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं…
बारिशे हो ही जाती है मेरे शहर में,
कभी बादलो से तो कभी आँखों से...
आओ फिर से दोहराए अपनी कहानी, मैं तुम्हें बेपनाह चाहूँगा और तुम मुझे बेवजह छोड़ जाना..
बस इतनी सी ही कहानी थी मेरी मोहब्बत की मौसम की तरह तुम बदल गए, फसल की तरह मैं बरबाद हो गया|
सुनो एक बार और मोहब्बत करनी है तुमसे लेकिन इस बार बेवफाई हम करेंगे...