तुम जाने दो सबको तारो के शहर में,तुम मेरे साथ केदारनाथ चलना।
"वो कागज़ और मैं, कलम सा लगता हूँ,उसे मिलने के बहाने, रोज लिखता हूँ,स्याह मोह्हबत का,कागज़ चुम लेता है,कोई गज़ल फिर, उसके नाम कर देता हूँ l"
Safar mein sath tera, Ae humsafar! hamesha nahi hoga.
Mere dil mein, tere liye dua ke siva kuch nahi hoga..
कितनी खुबसूरत सी
लगने लगती हे जिंदगी
जब कोई तुम्हारे पास आके
घुटनो के बल बैठे के तुमसे पूछे
Will u be my Valentine
कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी
दिल को ख़ुशी के साथ साथ होता रहा मलाल भी
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा