है इश्क़ तो इश्क़ का इजहार होना चाहिए,
और है गर वार तो खंजर दिल के आर-पार होना चाहिए।
उस गली में वो दरवाजे अब बन्द मिलते है,
जो इंतजार में भी मेरे थे, इज़हार में भी मेरे थे।