जिया जिंदादिली से जो उसे तू जन्नत अता करना
युगो तक नाम हो जग में तू वो शोहरत अता करना
ग़ज़ल है ग़मज़दा कितनी बता सकता नहीं मौला
हमेशा के लिए राहत को अब राहत अता करना!
किसी की आरज़ू कब तक किसी को बख्श देती है,
कभी तो अश्क आंखों से गिले इजहार करेंगे!
जन्नत की आरजू में सब हज को चले गये,
हमने भी मोहब्बत से अपनी माँ को देख लिया!
लोग चले है जन्नत को पाने की खातिर,
बेख़बरो को खबर कर दो माँ घर पर ही है.
Kitani Pi Kaise Kati Raat Mujhe Hosh Nahi Hai Raat Ke Sath Gayi Baat Mujhe Hosh Nahi.
Kitani Pi Kaise Kati Raat Mujhe Hosh Nahi Hai
Raat Ke Sath Gayi Baat Mujhe Hosh Nahi.