इश्कइश्क करता रहा,जिस्म पे वो मरता रहा !!
जिस्म को
तो छू लिया तुमने,
मगर रूह को छूने की
औकात नहीं तुम्हारी !!
जिस्म
की तलाश में,
सच्चा इश्क
खो दिया !!
है तेरा जिस्म किसी और की बाहों के लिए,तू तो एक ख़्वाब है बस मेरी निगाहों के लिए!
जिस्म छू के तो सब गुज़रते हैं,रूह छूता है कोई हजारों में…
जो मेरे जिस्म की चादर बना रहा बरसों…ना जाने क्यों वो मुझे बेलिबास छोड़ गया !!