ज़िस्म के ज़ख्म हो तो मरहम भी लगाएं,
रूह के नासुरों का हकीम मिलता नहीं हमें!
है तेरा जिस्म किसी और की बाहों के लिए,
तू तो एक ख़्वाब है बस मेरी निगाहों के लिए!
खूबसूरत ज़िस्म हो या सौ टका ईमान…
बेचने की ठान लो तो हर तरफ बाज़ार है!
जिस्म छू के तो सब गुज़रते हैं,
रूह छूता है कोई हजारों में…