जुर्म था तेरे पास आनाअब दूर जाना दूसरा गुनाह होगा
चलो ये जुर्म भी कबूल है,
जो तेरी इजाज़त के बगैर तुझे अपना समझा.
ख़ुदकुशी जुर्म भी है सब्र की तौहीन भी है,इस लिए इश्क में मर-मर के जिया करते हैं।
किस जुर्म में छीनी गई मुझसे मेरी हँसी?
मैने तो किसी का दिल दुखाया भी ना था