कांटों पर चलने वाले
अपनी मंजिल पर जल्दी पहुँचते है,
क्योंकि कांटे कदमो की रफ्तार
बढ़ा देते है !!
"लफ्जों" को बरतने का सलीका जरुरी है "गुफ़्तगू" में,
"गुलाब" अगर कायदे से ना पेश हो तो "कांटे" चुभ जाते हैं!
टिक टिक करते घड़ियों के कांटे,
उम्र ढल रही मेरी बताते रहते है…
कांटों से घिरा रहता है चारों तरफ से फूल
फिर भी खिला रहता है, क्या खुशमिजाज़ है
कांटे किसी के हक में किसी को गुलो-समर,
क्या खूब एहतमाम-ए-गुलिस्ताँ है आजकल।
सब फूल लेकर गए मैं कांटे ही उठा लाया;
पड़े रहते तो किसी अपने के पाँव मे जख्म दे|