कागज़ पे लिखी कुछ लाइन ऐसी भी होती है,
किसी को हँसा और किसी को रुला जाती है,
कागज की कस्ती बना कर,
बहा देते है, ना जाने कौन सी मंजिल
के लिए, समंदर में छोड़ देते है,
मिली थी जिन्दगी किसी के “काम” आने के लिए,
पर वक्त बीत रहा है क़ागज के टुकड़े कमाने के लिए…
कागज पर गम को उतारने के अंदाज ना होते…
मर ही गये होते अगर शायरी के अल्फाज ना होते…
लिखूँ जो काग़ज़ पे तो लफ़्ज़-लफ़्ज़ थरथराए…
कि तेरी धड़कन रहे मेरी हथेलियों के है दरमियाँ!
फूल है गुलाब का चमेली मत समझ लेनागर्लफ्रेंड है मेरी अपना मत समझ लेना
फूल है गुलाब का चमेली मत समझ लेना
गर्लफ्रेंड है मेरी अपना मत समझ लेना