जिस पर हमारी आँख ने मोती बिछाए रात भर…
भेजा वही काग़ज़ उसे हम ने लिखा कुछ भी नहीं!
कोरा कागज था मन मेरा जिस
पर नाम है,था, सिर्फ और सिर्फ तेरा
एक आँसूं कोरे कागज़ पर गिरा,
वो अधूरा ख़त पूरा हो गया!
कोरा कागज़ था और कुछ बिखरे हुए लफ़्ज़,
ज़िक्र तेरा आया तो सारा कागज़ गुलाबी हो गया
काग़ज के फूल भी महकते हैं,
कोई देता है, जब मोहब्बत से!